Bank news: भारत के बैंको खाता खुलवा लेने के बाद कुछ लोग भूल जाते है. कई वर्षो तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं होता तो बैंक उस अकाउंट में KYC के लिए ग्राहकों कों लेटर भेजता है जिसके बाद अगर ग्राहक KYC नहीं कराते तो उनके अकाउंट में जमा उस उन पैसे कों बैंक लावारिस रकम (unclaimed deposit) मान लेता है. भारतीय बैंको में यह रकम बढ़ती ही जा रही है.
संसद में वित्त मंत्री भागवत कराड (Bhagwat karad) ने एक डाटा पेश किया इस डाटा के मुताबिक मार्च 2023 तक बैंको में जमा लावारिस रकम 42,720 करोड़ रूपये हो गया है. यह आकड़ा फरवरी 2023 में 35,012 रूपये ही था. अलग अलग बैंको में जमा है यह ऐसी राशि है जिसका कोई दावेदार नहीं है.
लावारिस रकम (unclaimed deposit) क्या है?

आपको समझाते है कि आखिर लावारिस रकम क्या होती है? लावारिस रकम उस रकम कों कहते है जिस अकाउंट में पिछले 10 वर्ष में कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं हुआ रहता. दरअसल हर बैंक्स प्रति वर्ष अपने यहां ओपन बैंक (Bank) अकाउंट कों रिव्यु करते है और सालाना हिसाब-किताब बनाते है.
रिव्यु में मुख्यतः यह पता लगाया जाता है कि ऐसे कौन-कौन से अकाउंट है जिस अकाउंट से कोई भी लेंन देन पिछले 10 वर्ष में नहीं हुआ है.ऐसे अकाउंट में पड़े सभी रकम कों बैंक लावारिस रकम मान लेता है.बाद में ऐसे ग्राहकों से Bank सपर्क भी करता है.यह आकड़ा मार्च 2023 तक 42,720 करोड़ रूपये हो गया है.
वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने क्या कहा?
संसद में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि आरबीआई( RBI) ने लावारिस जमा की मात्रा को कम करने और सही दावेदारों को ऐसी जमा राशि वापस करने के लिए कई कदम उठाए हैं. वित्त मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश के अनुसार बैंकों को दस साल या उससे अधिक समय से निष्क्रिय या निष्क्रिय खातों में लावारिस जमा की सूची बैंकों की वेबसाइटों पर प्रदर्शित करने और मृत खाते के मामले में ग्राहकों या कानूनी उत्तराधिकारियों के ठिकाने का पता लगाने की सलाह दी गई है.

RBI के पास रहती है ऐसे अकाउंट की जानकारी (Bank)
ऐसे अकाउंट जिसमे पिछले 10 वर्षो में कोई भी फण्ड ट्रांसफर नहीं हुआ है और ना ही कोई रकम डिपाजिट की गयी है ऐसे अकाउंट की सम्पूर्ण जानकारी बैंक आरबीआई (RBI) कों देता है.जिसके बाद इस फंड कों अनक्लेमड डिपाजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
दावेदारों का पता लगाने के लिए आईबीआई तरह तरह का कैंपेन चलाते है जिससे कानूनी दावदारों का पता चल सके.कभी कभी यह डिपाजिट कुछ अन्य कारणों से भी बढ़ जाता है जैसे मान ले किसी डिपाजिटर की मौत हो गयी और नॉमिनी कोई नहीं है ऐसे में दावेदार का पता चल पाना मुश्किल होता है.
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