भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। भारत वर्तमान में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन चुका है। यह बदलाव उपभोक्ताओं की बदलती पसंद, सस्टेनेबल और अफोर्डेबल मोबिलिटी की मांग और सरकार की प्रभावी नीतियों के कारण संभव हुआ है।
सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) निर्माण को स्वदेशीकरण की ओर ले जाने के लिए कई प्रभावशाली कदम उठाए गए हैं। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम, FAME-II, PM E-Drive और SMEC जैसी योजनाओं ने भारत के ऑटो सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
बजट 2025-26 से क्या उम्मीदें हैं?
रिपोर्ट्स के अनुसार, बजट 2025-26 में ईको-फ्रेंडली टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए नए प्रावधान किए जा सकते हैं। सरकार EV निर्माण को प्राथमिकता देने के लिए नई नीतियां लागू कर सकती है।
- EV निर्माण को बढ़ावा: PM E-Drive, ऑटो PLI और इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएं लाई जा सकती हैं।
- निवेश आकर्षित करने की पहल: ये योजनाएं भारत में निवेश को बढ़ावा देंगी और देश को EV निर्माण का वैश्विक हब बनाने में मदद करेंगी।
EV सेक्टर की बजट से प्रमुख उम्मीदें

1. घरेलू बाजार को सुरक्षा और आयात पर नियंत्रण
भारत में EV बैटरियों के लिए लिथियम-आयन सेल का अधिक आयात हो रहा है, जिससे घरेलू निर्माण उद्योग को चुनौती मिल रही है। सरकार स्थानीय बैटरी निर्माताओं को सब्सिडी और प्रोत्साहन दे सकती है, ताकि वे कम कीमत वाले आयातित बैटरियों से प्रतिस्पर्धा कर सकें।
PLI स्कीम पहले से ही सफल रही है, जिससे ह्युंडई और सुजुकी जैसी कंपनियों ने अपने EV बैटरी निर्माण का बड़ा हिस्सा भारत में स्थानांतरित कर लिया है। संभावना है कि सरकार कुछ EV कंपोनेंट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है, ताकि घरेलू निर्माण को और मजबूती मिल सके।
2. EV इन्फ्रास्ट्रक्चर और बैटरी रीसाइक्लिंग
EV की बढ़ती मांग को देखते हुए चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी रीसाइक्लिंग प्लांट्स की जरूरत भी बढ़ रही है। सरकार इस दिशा में बड़े कदम उठा सकती है, ताकि स्थानीय EV बाजार को मजबूत किया जा सके।
3. GST में राहत और रिफंड प्रक्रिया में सुधार
EV को अपनाने में तेजी लाने के लिए सरकार GST दरों में बदलाव कर सकती है। संभावना है कि:
- EV खरीदने पर रिफंड प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।
- हाइब्रिड वाहनों के लिए टैक्स दरें कम की जाएं, ताकि ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा दिया जा सके।