जाने-माने ऑटोमोबाइल उद्योगपति और मारुति सुजुकी के जनक Osamu Suzuki को भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया है। इससे पहले उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान सितारा-ए-पाकिस्तान और हंगरी का मिडल क्रॉस विद द स्टार ऑर्डर ऑफ मेरिट भी मिल चुका है।
Osamu Suzuki का प्रेरणादायक सफर
Osamu Suzuki ने 1958 में सुजुकी मोटर में अपने करियर की शुरुआत की और 1978 में कंपनी के अध्यक्ष बने। 2000 में उन्होंने चेयरमैन की जिम्मेदारी भी संभाली। कुल मिलाकर, उन्होंने 28 वर्षों तक इस वैश्विक ऑटोमोटिव कंपनी का नेतृत्व किया।
2015 में उन्होंने अपने बेटे को अध्यक्ष की भूमिका सौंपी, लेकिन एक वर्ष तक वे कंपनी के चेयरमैन और सीईओ बने रहे। हालांकि, 2016 में ईंधन दक्षता संबंधी विवाद के कारण उन्होंने सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया।
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में योगदान

Osamu Suzuki ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई। 1983 में उन्होंने भारतीय बाजार में प्रवेश करने का निर्णय लिया और भारतीय सरकार के साथ साझेदारी कर मारुति उद्योग लिमिटेड की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किफायती और ईंधन-कुशल वाहन लाना था।
1990 के दशक तक, मारुति और सुजुकी की साझेदारी ने भारत को सुजुकी वाहनों के निर्माण केंद्र में बदल दिया। इस समय के दौरान हर साल 2 लाख से अधिक वाहन निर्मित किए जाते थे।
वैश्विक स्तर पर सुजुकी का विस्तार
Osamu Suzuki का दृष्टिकोण सिर्फ ऑटोमोबाइल तक सीमित नहीं था। उन्होंने नई साझेदारियां बनाईं, अनदेखे बाजारों में संभावनाएं तलाशी, और सुजुकी मोटर को एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व के कारण, सुजुकी मोटर ने न केवल भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खुद को स्थापित किया।