उज़्बेकिस्तान फिल्म फेस्टिवल में सैयामी खेर और अभिषेक बच्चन की ‘Ghoomer‘ की विशेष स्क्रीनिंग हुई। यह फिल्म महिलाओं के संघर्ष और सफलता की कहानी को दर्शाती है। पढ़ें पूरी जानकारी।
भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने के लिए ताशकंद में भारतीय दूतावास द्वारा एक भव्य फिल्म उत्सव आयोजित किया गया। यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में हुआ, जिसमें कई प्रेरणादायक महिला-केंद्रित फिल्मों को प्रदर्शित किया गया। इन्हीं में से एक फिल्म थी सैयामी खेर और अभिषेक बच्चन की ‘घूमर’, जिसने अपने सशक्त संदेश और दमदार कहानी के कारण खास जगह बनाई।

सैयामी खेर ने जताई खुशी
‘Ghoomer में अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों का दिल जीतने वाली सैयामी खेर खुद इस फिल्म उत्सव में शामिल हुईं। उन्होंने इस खास मौके पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा,
“‘Ghoomer’ मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावना है। एक दिव्यांग खिलाड़ी का किरदार निभाना जिसने अपनी सीमाओं को तोड़कर अपने सपनों को पूरा किया, मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक अनुभव था। इस फिल्म को इस तरह के प्रतिष्ठित उत्सव में शामिल होते देखना और खुद वहां मौजूद रहना अविस्मरणीय अनुभव था। उज़्बेकिस्तान में भारतीय सिनेमा को लेकर गहरा प्रेम है और इस उत्सव ने दोनों देशों के बीच इस साझा जुनून को और भी विशेष बना दिया है।”
अब भी प्रासंगिक है ‘घूमर’
भले ही ‘घूमर’ को रिलीज़ हुए डेढ़ साल से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन यह फिल्म आज भी चर्चा में बनी हुई है। इसकी कहानी न सिर्फ दर्शकों को प्रेरित करती है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी सराहना हो रही है। फिल्म ने खेल जगत में संघर्ष और आत्मविश्वास को दर्शाने के लिए एक अलग पहचान बनाई है।
सिनेमा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

यह फिल्म उत्सव न सिर्फ सिनेमा प्रेमियों को जोड़ने का मंच था, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था। ‘घूमर’ जैसी फिल्में यह दिखाती हैं कि एक महिला किसी भी चुनौती को पार कर अपनी मंज़िल हासिल कर सकती है। इस फिल्म के चयन ने यह साबित किया कि कैसे सिनेमा सामाजिक सोच को बदलने और सकारात्मक संदेश देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है।
भारत-उज़्बेकिस्तान के सांस्कृतिक संबंधों को मिला नया आयाम
इस प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत करना था। इस आयोजन ने न सिर्फ फिल्म प्रेमियों को जोड़ा, बल्कि दोनों देशों के फिल्म उद्योगों के बीच सहयोग के नए अवसर भी खोले।
सैयामी खेर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,
“एक कलाकार के रूप में ‘घूमर’ जैसी फिल्म का एक ऐसे उत्सव का हिस्सा बनना जो महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित हो, मेरे लिए गर्व की बात है। इस पूरे हफ्ते का अनुभव अद्भुत रहा, जहां मैंने दर्शकों के साथ बातचीत की और ऐसी फिल्मों का जश्न मनाया, जो प्रेरित और सशक्त करती हैं।”
‘घूमर’ ने एक बार फिर साबित किया कि अच्छी कहानियां और प्रेरणादायक किरदार किसी भी समय प्रासंगिक रहते हैं। उज़्बेकिस्तान फिल्म उत्सव में इस फिल्म की स्क्रीनिंग ने भारतीय सिनेमा की गूंज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी मज़बूत किया है। यह न सिर्फ फिल्म की लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सिनेमा के ज़रिए कैसे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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