भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (Ultra-Processed Foods) के बढ़ते सेवन को लेकर आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) ने चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में चीनी, वसा और अन्य एडिटिव्स होते हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, सर्वेक्षण में सख्त फ्रंट-ऑफ-द-पैक (FOP) लेबलिंग नियमों को लागू करने की वकालत की गई है, जिससे उपभोक्ताओं को सही और स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद मिले।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बढ़ते खतरे
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का बाजार साल 2021 में ₹2,500 अरब का था, और यह तेजी से बढ़ रहा है। स्वादिष्ट लेकिन अस्वस्थ भोजन की लोकप्रियता के कारण यह उद्योग फल-फूल रहा है। लेकिन सर्वेक्षण ने इस बात पर भी जोर दिया कि भ्रामक विज्ञापन, सेलिब्रिटी प्रमोशन और स्पष्ट लेबलिंग की कमी के चलते उपभोक्ताओं को सही जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे खासतौर पर बच्चे और किशोर प्रभावित होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन कैंसर, हृदय रोग, पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। खराब आहार की वजह से मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि इस पर सख्त नियंत्रण की जरूरत है।
स्वास्थ्य के लिए सख्त नियमन की मांग

सर्वेक्षण में साफ कहा गया है कि दुनियाभर में खाद्य उद्योग की स्व-नियमन प्रणाली प्रभावी साबित नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार,
“वैज्ञानिक प्रमाणों से स्पष्ट है कि अधिक वसा, नमक और चीनी (HFSS) युक्त अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इस विषय पर विश्व स्तर पर स्व-नियमन असफल रहा है।”
इसलिए, सर्वेक्षण ने सख्त सरकारी नियमों की मांग की है ताकि उपभोक्ताओं को इन उत्पादों में मौजूद हानिकारक तत्वों की पूरी जानकारी मिले। सरकार पहले से ही ईट राइट इंडिया और फिट इंडिया मूवमेंट जैसी पहलों के जरिए स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
स्वस्थ भविष्य के लिए संतुलित आहार अपनाएं
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि लोगों को संपूर्ण पोषण से भरपूर प्राकृतिक और कम-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे अतिरिक्त शक्कर, रिफाइंड अनाज और हानिकारक एडिटिव्स की मात्रा कम होगी। संतुलित आहार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और ऊर्जा स्तर को भी बनाए रखता है।