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मशहूर अभिनेता राज कुमार की पुण्यतिथि आज, फिल्मों से ज्यादा डायलॉग से मिली पहचान

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फिल्म इंड्स्ट्री पर राज करने वाले दिग्गज अभिनेता राज कुमार की आज पुणयतिथी है। उनका जन्म 8 अक्टूबर 1926 को लोरलाई, पाकिस्तान में हुआ था। डायलॉग के बेताज बादशाह राज कुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित था। आज उनकी पुणयतिथी पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें।

चार दशकों तक फिल्म इंडस्ट्री में किया काम

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राज कुमार आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका अभिनय और उनका स्टाइल आज भी लोगों को बखूबी याद है। राज कुमार ने चार दशकों तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया। हिन्दी सिनेमा में यूं तो कई दमदार अभिनेता आए, लेकिन उनमें से एक सितारा ऐसा था, जिसने दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज किया। पूरी फिल्म इंडस्ट्री ने भी राज कुमार को ‘राजकुमार’ माना। राज कुमार का असली नाम कुलभूषण पंडित है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक इंटरव्यू के दौरान जब राज कुमार से उनके पसंदीदा अभिनेता के बारें में पूछा गया तो उन्होंने सबसे पहले राज कपूर का नाम लिया था। उन्होंने कहा था उन्हें राज कपूर का अंदाज बेहद पसंद है। राज कपूर के अलावा उन्होंने दिलीप कुमार, देवानंद और अशोक कुमार का भी नाम लिया था। साथ ही उन्होंने अपने कॉलेज के जमाने के दिनों को याद करते हुए कहा था कि उन्हें कॉलेज के दिनों में मोती लाल सहगल, जगदीश सहगल और पृथ्वीराज कपूर बहुत पसंद थे।

अपने डायलॉग से राज कुमार आज भी सबके कायल

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बेहद शानदार किरदार से बरसों तक फिल्म इंड्स्ट्री पर राज कुमार ने राज किया है। वह अपने डायलॉग और बेबाक स्टाइल के लिए काफी मशहूर थे। बॉलीवुड फिल्मों में जब भी दमदार स्टाइल से डायलॉग बोलने की बात आती है तो आज भी लोगों की जुबान पर राज कुमार का नाम आता है। राज कुमार के फैंस आज भी उनके डायलॉग बोलने की अदा के कायल हैं। फिल्म ‘पाकीजा’ में राज कुमार का बोला गया हर एक संवाद आज भी दर्शकों को याद है। उनका सबसे ज्यादा बोले जाने वाला डायलॉग है-‘आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं, इन्हें जमीन पर मत उतारियेगा मैले हो जायेगे”। फिल्म ‘वक्त’ का लोकप्रिय डायलॉग- ‘चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते’। राज कुमार के और भी कई बेहतरीन डायलॉग है, जो लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं।

पुलिस की नौकरी छोड़ फिल्म इंडस्ट्री में रखा कदम

राज कुमार ने अपनी शर्तों पर फिल्मों में काम किया। वह 40 के दशक में मुंबई आए थे। यहां पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी करते थे। उस दौरान उनके पुलिस साथी उन्हें उनके स्टाइल और चालढाल को देखकर फिल्मों में जाने की सलाह देते थे। इसके बाद उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ी और फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। साल 1952 में फिल्म ‘रंगीली’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। हालांकि उनको असली अभिनेता के रूप में पहचान 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘नौशेरवां-ए-आदिल’ से मिली थी। इसके बाद 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ में दमदार किरदार निभाकर सारी लाइमलाइट लूट ली थी। यह फिल्म उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई थी।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब राज कुमार और गोविंदा फिल्म ‘जंगबाज’ की शूटिंग कर रहे थे। गोविंदा शानदार शर्ट पहने हुए थे, जो राज कुमार को बेहद पसंद आई। शूटिंग खत्म होने के बाद राज कुमार ने उनसे कहा, “यार तुम्हारी शर्ट बहुत शानदार है।” गोविंदा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए। उन्होंने तुरंत ही अपनी शर्ट उतारकर राज कुमार को दे दी। राज कुमार ने उनसे शर्ट तो ले ली थी, लेकिन पहनने के लिए नहीं बल्कि उन्होंने गोविंदा की उस शर्ट की रमाल बना ली थी। जब दो दिन बाद सेट पर गोविंदा ने देखा कि राज कुमार ने उस शर्ट का एक रुमाल बनवाकर अपनी जेब में रखा हुआ है।अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राज कुमार 3 जुलाई 1996 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन राज कुमार का अभिनय और स्टाइल, उनका शर्ट में रूमाल रखने का स्टाइल, उनके सफेद जूते और उनके डायलॉग आज तक दर्शकों के जेहन में जिंदा हैं।