ATM Cash Withdrawals से SBI ने पिछले 5 सालों में 2,043 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जबकि अन्य सरकारी बैंकों को 3,738.78 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। जानें पूरी रिपोर्ट।
ATM Cash Withdrawals : SBI ने 5 सालों में कमाए 2,043 करोड़ रुपये, अन्य सरकारी बैंक घाटे में

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने ATM Cash Withdrawals के माध्यम से पिछले पाँच वर्षों में 2,043 करोड़ रुपये का भारी मुनाफा अर्जित किया है। हालांकि, इस दौरान अन्य 9 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs) को कुल 3,738.78 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि SBI के अलावा केवल पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और केनरा बैंक ही ऐसे दो सरकारी बैंक हैं जिन्होंने एटीएम कैश ट्रांजैक्शन से कमाई की है। PNB ने 90.33 करोड़ रुपये और केनरा बैंक ने 31.42 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
क्या एटीएम कैश ट्रांजैक्शन से बैंकों को लाभ होता है?

लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी से पूछा गया कि क्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs) ग्राहकों से अतिरिक्त निकासी शुल्क वसूलकर मुनाफा कमाते हैं? इसके जवाब में उन्होंने इस डेटा को साझा किया।
ग्राहकों को कितनी मुफ्त एटीएम ट्रांजैक्शन मिलती हैं?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंक अपने ग्राहकों को हर महीने पाँच मुफ्त ट्रांजैक्शन प्रदान करते हैं। इनमें वित्तीय (कैश निकासी) और गैर-वित्तीय (बैलेंस चेक आदि) ट्रांजैक्शन शामिल होते हैं।
इसके अलावा, अन्य बैंकों के एटीएम से भी सीमित संख्या में मुफ्त ट्रांजैक्शन करने की अनुमति होती है:
✔ मेट्रो शहरों में – प्रति माह 3 मुफ्त ट्रांजैक्शन
✔ गैर-मेट्रो शहरों में – प्रति माह 5 मुफ्त ट्रांजैक्शन
यदि कोई ग्राहक इन सीमाओं से अधिक ट्रांजैक्शन करता है, तो बैंक द्वारा तय किए गए शुल्क के अनुसार शुल्क वसूला जाता है। वर्तमान में, एक अतिरिक्त एटीएम ट्रांजैक्शन पर अधिकतम 21 रुपये (प्लस टैक्स) शुल्क लिया जाता है।
एटीएम इंटरचेंज शुल्क में बढ़ोतरी

आरबीआई ने हाल ही में एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि को मंजूरी दी है, जो 1 मई से प्रभावी होगी।
नए शुल्क निम्न प्रकार हैं:
वित्तीय लेनदेन (कैश निकासी) पर शुल्क – पहले 17 रुपये था, अब 19 रुपये कर दिया गया है।
गैर-वित्तीय लेनदेन (बैलेंस चेक, मिनी स्टेटमेंट, पिन चेंज आदि) पर शुल्क – पहले 6 रुपये था, अब 7 रुपये कर दिया गया है।
यह वृद्धि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा बैंकों और अन्य हितधारकों को सूचित की गई थी। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स मौजूदा शुल्क ढांचे के तहत आर्थिक रूप से नुकसान में चल रहे थे।
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